यूं होती है आर्मी डॉग्स की ट्रेनिंग, रिटायरमेंट के बाद जानें क्या होता है

नई दिल्ली. आर्मी के डॉग्स (कुत्ते) उसी तरह देश की सेवा करते
हैं, जैसे कोई दूसरा सैनिक। लेकिन इन्हें तब तक जीवित रखा जाता है, जब तक
ये काम के रहते हैं। रिटायरमेंट के बाद इन्हें जहर देकर मार दिया जाता है।
हालांकि, केंद्र सरकार ऐसी नीति तैयार करने की कोशिश में है, जिसके तहत
रिटायरमेंट के बाद इन्हें मारा नहीं जाए।
रिटायरमेंट के बाद क्यों मार दिए जाते हैं आर्मी डॉग...
सेना में रिटायरमेंट के बाद कुत्तों के मारने का चलन अंग्रेजों के
वक्त से चला आ रहा है। जब कोई डॉग एक महीने से अधिक समय तक बीमार रहता है
या ड्यूटी नहीं कर पाता है तो उसे जहर देकर (एनिमल यूथेनेशिया) मार दिया
जाता है। इसके पहले पूरे सम्मान के साथ उसकी विदाई की जाती है। कुत्तों को
मारने के पीछे दो तर्क दिए जाते हैं।
- उन्हें आर्मी के बेस लोकेशन्स की पूरी जानकारी होती है। साथ ही वे
अन्य सीक्रेट जानकारियां भी रखते हैं। ऐसे में यदि उन्हें आम लोगों को
सौंपा जाता है तो यह सिक्युरिटी के लिए खतरनाक हो सकता है।
- यदि इन कुत्तों को एनिमल वेलफेयर सोसाइटी या किन्हीं निजी हाथों में
दिया जाता है तो वे उस कुत्ते को वैसी सुविधाएं नहीं दे सकते जो उन्हें
सेना में मिलती है। सेना में कुत्तों को विशेष सुविधाएं दी जाती हैं।
No comments:
Post a Comment